मामले निपटाने में हिमाचल हाईकोर्ट सबसे आगे
राजेंद्र डोगरा, शिमला
08/06/10 | Comments [0]
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मात्र एक संकल्प ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को देश में अग्रणी कतार में खड़ा कर दिया है। देश भर के सभी न्यायालय विभिन्न प्रकार के मुकदमों के बोझ तले दबे हैं। ठीक ऐसे समय में जब लंबित मामलों के निपटारे को लेकर कहीं से भी उम्मीद की लौ नजर नहीं आ रही, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने आशाओं के दीप जला कर दिखाए हैं। इन्हीं दीपकों की लौ में चमक रहे हैं ये आंकड़े जो दर्शाते हैं कि कैसे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय लंबित मामले निपटाने में केरल को पछाड़ कर अव्वल हो गया। आंकड़े गवाह हैं कि हिमाचल उच्च न्यायालय ने मात्र 65 दिन में ही 13752 मामले निपटाए। इस अवधि में प्रति न्यायाधीश लंबित मामले निपटाने की औसत 3750 दर्ज की गई। यह राष्ट्रीय औसत 2324 व केरल उच्च न्यायालय की औसत 2500 मामलों से कहीं अधिक है।
लंबित मामलों के निपटारे के लिए उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों का टीम वर्क ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि केसों को लेकर अदालत का उचित प्रबंधन भी सकारात्मक नतीजे लाने में कामयाब हुआ है। वर्ष 2009 से पहले केरल हाईकोर्ट इस मामले में अव्वल था लेकिन अब हिमाचल हाईकोर्ट आगे है।
 हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण से जुड़े कई अहम मसले सुनवाई के लिए आते रहे हैं। इसे महत्व देते हुए राच्य उच्च न्यायालय में ग्रीन बैंच की स्थापना की गई। त्वरित न्याय के लिए यह एक अहम फैसला था। न्याय में देरी ना हो, इसीलिए हिमाचल में वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित मामलों को निपटाने को भी प्राथमिकता दी गई।
गौर है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में 11 न्यायाधीश हैं। एक न्यायाधीश औसतन एक माह में 3750 केस निपटा रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 2324 मानी जाती है। हिमाचल हाईकोर्ट को स्थापित हुए 40 बरस हो चुके हैं और इस वर्ष अप्रैल व मई माह में 13 हजार 752 मामले अदालत ने निपटा दिए हैं। अब यहां लगभग 47500 केस पेंडिंग हैं।
उच्च न्यायालय ने अधिकतर उन मामलों पर फैसलों का निर्णय लिया है जोकि '''कवर्ड मैटर'' थे। यानी एक ही तरह के मामलों का फैसला एक साथ। इनमें च्यादातर सर्विस मैटर थे या फिर सरकारी निर्णयों को लेकर अदालत में चल रहे केस।


  

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