केस डायरी की मांग पुलिस के ठेंगे पर
उमाकांत प्रसाद वर्मा, पटना
08/05/10 | Comments [0]
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सरकार बनाम सर्वानन्द वगैरह।.. विचारण (ट्रायल) के मद्देनजर इस मामले को सत्र न्यायालय में स्थानान्तरित करने के लिए तकरीबन 14 न्यायिक अधिकारियों द्वारा केस डायरी की तलब, 34 साल 5 महीने 25 दिन बाद भी पुलिस मनमानी के ठेंगे पर है। फुलवारी शरीफ थाने में दर्ज यह मामला( संख्या 08/1976 ) 1976 का है जिसका फैसला तो दूर ट्रायल ही अभी तक नहीं शुरू हो सका। मामले की प्राथमिकी 09 फरवरी 1976 को दर्ज की गयी थी। केस डायरी किसी भी आपराधिक मामले में उसकी जांच का पूरा ब्योरा होता है। प्राथमिकी ( एफआईआर) दर्ज होने के बाद जांच अधिकारी के घटना स्थल पर जाने के दिन से लेकर इसे अदालत के सुपुर्द करने तक की उसकी पूरी कार्रवाई और पक्षकारों के बयान आदि का पूरा ब्योरा, यानी केस डायरी, अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के तहत सुपुर्द की जाती है। किसी भी आपराधिक मामले के विचारण में केस डायरी की अहम भूमिका होती है। मामले की प्राथमिकी फुलवारीशरीफ थाने के दरोगा बिकाऊ मिश्रा ने 9 फरवरी 1976 को दर्ज करायी थी। जांच खत्म होने के बाद 11 जुलाई 1976 को इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 225 और आ‌र्म्स एक्ट की धारा 25ए/27 के तहत तीन अभियुक्तों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया। लेकिन 34 वर्ष बीत गये फुलवारीशरीफ पुलिस ने आज तक इस मामले की मूल केस डायरी न्यायालय में दायर नहीं की है। यह है एक आपराधिक मामले के ट्रायल की शुरूआत की कहानी। राजधानी पटना मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर फुलवारी शरीफ थाने की पुलिस ऐसे जाने कितने मामलों के त्वरित निष्पादन में अडंगा बन चुकी होगी। दास्तान बहुत ही शर्मनाक है। कई न्यायिक दंडाधिकारियों ने मूल केस डायरी के बाबत थाना प्रभारी, सिटी एसपी, एसएसपी, डीआईजी और डीजीपी तक लिखा। लेकिन सब बेकार। यहां तक कि एक न्यायिक दंडाधिकारी ने बगैर केस डायरी के ही इस मुकदमे को ट्रायल के लिए सत्र न्यायालय में भेजने की जिला जज से अनुमति मांगी और भेज भी दिया। मामला जिला जज के आदेश से सहायक सत्र न्यायाधीश की अदालत में पहुंचा। वहां बचाव पक्ष की ओर से एक पेटीशन दायर किया गया। जिसमें कहा गया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 207 का उल्लंघन कर यह मामला इस अदालत में ट्रायल के लिए भेजा गया है, मामले में केस डायरी ही नहीं है। तब सहायक सत्र न्यायाधीश ने निचली अदालत को केस डायरी हासिल करने का निर्देश देते हुए मामले को वहीं भेज दिया। फिलहाल मामला न्यायिक दंडाधिकारी नारद पाण्डेय की अदालत में लंबित है।
 


  

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