 
शेर सिंह व श्याम कली ने अपनी लाडली का हाथ कुलदीप के पास यह सोचकर नहीं सौंपा कि उनका दामाद उनके भविष्य को संवारेगा। बल्कि इसलिए कि उसे छत नसीब हो और वह अपने घर की तरह सुखद जीवन बिताएं। लेकिन इस नेक नियत का अंजाम मौत होगा, इसकी कल्पना भी उन्होंने नहीं की थी। लेकिन इससे भी बदतर यह रहा कि इस दंपती की हत्या के16 बरस बीत जाने पर भी  कुलदीप सुकून का जीवन जीता रहा। और अब जब उसे उम्र कैद का फरमान मिला तो उसकी आधी से च्यादा जिंदगी बीत चुकी थी। सोमवार को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नूरपुर के उपरली रीथ क्षेत्र में रहने वाले कुलदीप नामक व्यक्ति को धारा 302 के तहत दोषी करार दिया है। यानी उम्र कैद। कुलदीप ने शेर सिंह (50) व श्यामकली (50) की बेटी से जब ब्याह किया तो उन्हीं के घर में रहने लगा। घर जवाई की पूरी इच्जत की गई। लेकिन कुलदीप की शराब की लत से घर वाले परेशान थे। तब कुलदीप का एक बरस का बेटा भी हो गया। 20 अप्रैल 1945 की रात को देर में जब वह घर आया तो देखा कि घर वाले खाना खा कर सो चुके हैं। पत्नी भी भोजन परोसने ना आई। चूंकि कुलदीप घर जवाई था लिहाजा सास ससुर से थाली परोसने की उम्मीद में गुस्सा बढ़ता गया। लेकिन कोई ना जागा। इसी कारण सास ससुर पर डंडे मार कर उन्हें पीटता रहा। तब तक जब तक उनकी मौत ना हो गई। पुलिस आई। मामला दर्ज हुआ। लेकिन 19.8.96 को निचली अदालत ने उसे बरी कर दिया। फिर मामला हाईकोर्ट पहुंचा। सुनवाईयों ने डेढ़ दशक से भी च्यादा वक्त लिया। लेकिन देर से ही सही कुलदीप को उम्र कैद के फैसले से श्यामकली व शेर सिंह की आत्मा को शांति जरूर मिली होगी। |