न्याय का मंदिर इलाहाबाद हाईकोर्ट
janjagran
08/04/10 | Comments [0]
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ब्रिटिश संसद द्वारा सन 1861 में पारित भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम द्वारा न केवल कलकत्ता, मद्रास और बंबई के सर्वोच्च न्यायालयों के स्थान पर उच्च न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान किया गया बल्कि लेटर्स पेटेंट के द्वारा ब्रिटेन की महारानी के राज्य क्षेत्र में किसी ऐसे स्थल पर उच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान भी किया गया जहां किसी अन्य उच्च न्यायालय की अधिकारिता नहीं थी। सन 1866 में आगरा में पुरानी सदर दीवानी अदालत को हटा कर उसके स्थान पर 17 मार्च, 1866 के लेटर्स पेटेंट द्वारा उत्तर-पश्चिमी प्रदेशों के लिए उच्च न्यायालय अस्तित्व में आया। बैरिस्टर एट ला सर वाल्टर मार्गन और मि. सिंपसन उत्तर-पश्चिमी प्रदेशों के उच्च न्यायालय के क्रमश: प्रथम मुख्य न्यायाधीश और प्रथम रजिस्ट्रार नियुक्त किए गए। उत्तर-पश्चिमी प्रदेशों के उच्च न्यायालय का स्थान सन् 1869 में आगरा से इलाहाबाद कर दिया गया तथा 11 मार्च, 1919 को जारी पूरक लेटर्स पेटेंट के द्वारा इसका नाम बदल कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट आफ जुडीकेचर ऐट इलाहाबाद) कर दिया गया। अवध न्यायिक आयुक्त के न्यायालय के स्थान पर लखनऊ के अवध मुख्य न्यायालय (चीफ कोर्ट) की स्थापना 2 नवंबर 1925 को हुई। इसकी स्थापना लेटर्स पेटेंट के द्वारा नहीं बल्कि भारत शासन अधिनियम 1919 (गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट 1919) की धारा 80-ए (3) की शर्त केअनुसार गवर्नर जनरल की पूर्व सहमति से उ.प्र. विधायिका द्वारा पारित अवध दीवानी न्यायालय अधिनियम (अधिनियम संख्या ढ्ढV/1925) के लागू होने पर हुई। उ.प्र. उच्च न्यायालय समामेलन (एकीकरण) आदेश, 1948 द्वारा अवध के मुख्य न्यायालय का समामेलन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के साथ कर दिया गया तथा नए उच्च न्यायालय को दोनों ही समामेलित न्यायालयों की अधिकारिता प्रदान की गयी। समामेलन आदेश के द्वारा लेटर्स पेटेंट के अंतर्गत उच्च न्यायालय की अधिकारिता तथा अवध न्यायालय अधिनियम के अंतर्गत मुख्य न्यायालय की अधिकारिता को संरक्षित रखा गया। जुलाई 1949 में राज्य-विलय (गवर्नर के प्रांत) आदेश पारित किया गया जिसे नवंबर में राज्य-विलय (संयुक्त प्रांत), आदेश, 1949 द्वारा संशोधित किया गया। इसके द्वारा अनुसूची Vढ्ढढ्ढ में विनिर्दिष्ट कुछ भारतीय राज्यों की शक्तियों को, जो डोमिनियन सरकार में निहित थीं, पा‌र्श्व में स्थित गवर्नर शासित प्रांतों को स्थानान्तरित कर दिया गया। अनुसूची Vढ्ढढ्ढ में विनिर्दिष्ट यह राज्य रामपुर, बनारस और टिहरी गढ़वाल थे तथा धारा-3 के अनुसार उक्त राज्यों को हर प्रकार से ऐसे प्रशासित होना था, मानो वे विलयकारी प्रांत के ही भाग थे। भारत के संविधान के लागू होने की तिथि 26 जनवरी 1950 अर्थात प्रथम गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या को इलाहाबाद उच्च न्यायालय को उत्तर प्रदेश के संपूर्ण क्षेत्र में अधिकारिता प्राप्त हो गई। उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के द्वारा उत्तराखंड राज्य तथा उत्तराखंड उच्च न्यायालय 8 और 9 नवंबर 2000 के बीच की मध्य रात्रि से अस्तित्व में आए तथा इस अधिनियम की धारा 35 के अनुसार उत्तराखंड राज्य के क्षेत्र में आने वाले 13 जिलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की अधिकारिता समाप्त हो गई। वर्तमान समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के 160 पद स्वीकृत हैं।
 


  

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