इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमों की बाढ़ व न्यायाधीशों की कमी अब अखरने लगी है। याचियों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दाखिल होने वाली याचिकाओं को सुनवाई के लिए लम्बे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है। हाईकोर्ट में कुछ अदालतों के पास इतनी नई याचिकाएं आ रही हैं जिन्हें सुनने में ही पूरा दिन बीत जाता है। ऐसे में सूचीबद्ध याचिकाओं की सुनवाई नहीं हो पाती। इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के 160 पद स्वीकृत हैं जिनमें 95 पद स्थायी हैं। इस समय केवल 73 न्यायाधीश कार्यरत हैं। स्वीकृत पद संख्या से लगभग आधे न्यायाधीशों पर प्रतिवर्ष दाखिल होने वाले लाखों मुकदमों के अलावा विचाराधीन पौने दस लाख मुकदमों से निपटने का बोझ है। इस समस्या के बारे में देश के मुख्य न्यायाधीश को कहना पड़ा कि लंबित मुकदमों की भारी संख्या भ्रष्टाचार की समस्या से कहीं गंभीर है जिसे समय रहते हल नहीं कर लिया गया तो यह न्याय व्यवस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट आजादी के बाद से ही जजों की कमी और मुकदमों के दबाव का सामना करता रहा है। कई अवसर आये, जब स्वीकृत पद संख्या के आधे से भी कम न्यायाधीश बचे।