दिन, महीने, साल बीते पर फैसला..
उमाकांत प्रसाद वर्मा, पटना
08/02/10 | Comments [0]
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28 वर्ष, 10 महीने और 1 दिन का समय बीत गया, मुकदमे की फाइल दस जजों की निगाहों से होकर गुजर गयी पर फैसला नदारद। मामला है वार्ड पार्षद व लोकदल पार्टी के तत्कालीन प्रदेश संगठन मंत्री शिवनन्दन प्रसाद चन्द्रवंशी हत्याकांड का। आरोप है कि पुलिस वालों ने 20 सितम्बर 1981 को कदमकुआं थाना क्षेत्र के मुसल्लमपुर के चाईटोला मोहल्ला में गुप्ती से मारकर उनकी हत्या कर दी थी। कदमकुआं थाना कांड संख्या 606/ 1981 (सरकार बनाम परशुराम शर्मा वगैरह) दर्ज किया गया। वर्तमान में यह मुकदमा एडीजे तृतीय की अदालत में चल रहा है। वार्ड पार्षद चन्द्रवंशी हत्या कांड उस वक्त पटना में सुर्खियों में रहा। कारण कांड के आरोपी झारखंड के सिंहभूमि जिले के बहेड़ा गोरहो थाना के दरोगा परशुराम शर्मा, दरोगा के भाई हवलदार भरत शर्मा, गर्दनीबाग थाना का जमादार गंगा प्रसाद, क्राइम विभाग के सिपाही बांके सिंह, टीपीएस कालेज का चपरासी रामदेव सिंह और एक अन्य अशोक कुमार थे। सभी मौके से गिरफ्तार भी किये गये थे। हालांकि मामले में आरोप पत्र 11 दिसम्बर 1981 को सभी आरोपियों के खिलाफ दायर कर दिया गया। लेकिन आरोप गठन की कार्रवाई 14 जून 2007 को 5 के खिलाफ हुयी। यानि आरोप गठन घटना के 15 वर्ष बाद। अभियुक्त गंगा प्रसाद इस बीच दरोगा बन गये। इनके खिलाफ आरोप गठन की कार्रवाई नहीं हो सकी। कारण ये अभी फरार चल रहे हैं। आखिरकार अदालत ने 28 मार्च 2003 को इनके मामले को अलग कर दिया। आज चन्द्रवंशी की पत्‍‌नी हीरामणि चन्द्रवंशी फैसले की वाट जोह रही है। चन्द्रवंशी की हत्या भी एक संयोग थी। आरोपी लोग धनेश्र्वर प्रसाद से मकान खाली कराने गये थे। इस बीच धनेश्र्वर को घर से बाहर निकाल पीटकर कर घायल कर दिया गया। धनेश्र्वर की पत्‍‌नी के गुहार लगाने पर चन्द्रवंशी उसे छुड़ाने गये लेकिन आरोपियों ने उन्हीं की हत्या कर दी। इसी तरह फुलवारीशरीफ थाना कांड संख्या 292/1989 में अभी तक फैसला नहीं आया है। यह मामला भी एडीजे-6 की अदालत में चल रहा है। जबकि घटना 29 अक्टूबर 1989 की है। यह घटना भी 20 वर्ष 9 महीने 2 दिन पुरानी है। अभी यह मामला एडीजे-6 की अदालत में चल रहा है। फलवारीशरीफ कांड संख्या 292/1989 का वादी तो दरोगा पुण्य देव मिश्रा हैं। यह मामला पुलिस बल पर हमला से संबंधित है। फुलवारीशरीफपुलिस ढिवरा गांव गयी थी वांछित को पकड़ने के लिए। लेकिन पुलिस बल पर हमला हो गया। घटना की जांच में पुलिस को छह वर्ष लग गये। आखिर में 11 आरोपियों के खिलाफ 24 जनवरी 1996 को आरोप पत्र दायर किया गया। फैसला भविष्य के गर्त में है।


  

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