बढ़ते लंबित मामले और अदालत में तारीख पर तारीख का एक बड़ा कारण निचले स्तर पर काम करने वाले जजों का व्यावहारिक रूप से सक्षम न होना भी हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट या सिविल जज के पद पर उन्हीं लोगों की नियुक्ति की जाए, जिन्होंने कम से कम पांच वर्ष तक प्रैक्टिस की हो। बेहतर न्याय लाएगा बदलाव के नारे के तहत न्यायिक प्रणाली को आज के अनुकूल बनाने के लिए आम जनता की राय को एक मंच देने के लिए दैनिक जागरण द्वारा दिल्ली की जिला न्यायालयों में शुरू किए अभियान के पांचवें दिन भी वकीलों व आम जनता ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और जागरण की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि समय पर न्याय मिलना जरूरी है। पटियाला हाउस, रोहिणी, द्वारका व कड़कड़डूमा व तीस हजारी कोर्ट में यह अभियान चलाया जा रहा है। तीस हजारी कोर्ट आए अधिवक्ता उपेंद्र गुप्ता ने बताया कि हमारी न्याय व्यवस्था की सबसे बड़ी कमी यह है कि अधिकतर जज अपने काम को करने के लिए व्यावहारिक रूप से सक्षम नहीं हैं। अधिवक्ता मीनाक्षी अग्रवाल व संजय रोहतगी ने भी उपेंद्र की बात का समर्थन करते हुए कहा कि मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट या सिविल जज की नियुक्ति करते समय कम से कम पांच साल तक कोर्ट में पै्रक्टिस कर चुके वकीलों को ही ज्यूडीशियरी की परीक्षा में बैठने की अनुमति होनी चाहिए। घर के झगड़े के मामले की सुनवाई के लिए कड़कड़डूमा कोर्ट आई ज्ञान देवी ने बताया कि 11 साल बीत गए हैं, परंतु अभी भी कोर्ट के ही चक्कर काट रहे हैं। लूट के मामले में तीस हजारी कोर्ट आयीं एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि वर्ष 2001 से उसके नशेड़ी बेटे के खिलाफ चोरी का मामला चल रहा है, जिसमें वह जमानती हैं। अपनी एक सहेली की दुष्कर्म के प्रयास के बाद हत्या कर देने के मामले की सुनवाई के लिए पटियाला हाउस कोर्ट आई मणिपुरी छात्रा ने बताया कि पिछले साल जुलाई में उसकी दोस्त की हत्या की गई थी। अब जाकर तो पुलिस ने आरोपपत्र दायर किया है। ऐसे में उनको न्याय मिलने की उम्मीद तो बहुत दूर नजर आ रही है।