3600 तारीखें 33 जज तीन पीढियां= 1 केस
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़
07/30/10 | Comments [0]
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पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछले दिनों एक 73 साल पुराने केस का निपटारा किया था। यह इस क्षेत्र का अब तक का सबसे पुराना केस कहा जा सकता है। अविभाजित भारत के लाहौर में दायर किए गए इस केस की बानगी देखिए। इस केस में लगभग 3600 तारीखें पड़ीं। 37 जजों ने इसकी सुनवाई की। केस पर 40 लाख रुपये खर्च हुए। यहीं नहीं, फैसला आने में लगभग तीन पीढि़यों को इंतजार करना पड़ा। रोचक बात ये भी कि केस को लेकर दूसरी पार्टी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अब सुप्रीमकोर्ट जाने की तैयारी में है। मतलब साफ है कि अभी इस केस के पूर्ण निपटारे में कुछ साल और लग सकते हैं। मामले के अनुसार 1938 में लाहौर निवासी निरंजन सिंह ने 45 एकड़ जमीन परिवार के लोगों की सहमति के बिना दलीप सिंह को बेच दी थी। जब परिवार को इस बात का पता चला तो निरंजन सिंह के छोटे भाई ने जमीन वापस लेने के लिए अपने भतीजे कमक्कर सिंह (निरंजन सिंह का पुत्र) के नाम से केस फाइल कर दिया। लाहौर कोर्ट ने 18 अप्रैल 1944 को केस का निपटारा कमक्कर सिंह के पक्ष में करते हुए कमक्कर सिंह को आदेश दिया कि वह जमीन का कब्जा लेने के लिए दलीप सिंह के 4500 रुपये कोर्ट में जमा करवाए। इसी बीच विभाजन से दो साल पहले दलीप सिंह की मौत हो गई। विभाजन के बाद दोनों परिवार भारत आ गए। भारत सरकार ने लाहौर वाली जमीन के बदले उन्हें खरड़ के पास 45 एकड़ जमीन का आवंटन कर दिया। आज करीब 60 करोड़ की कीमत वाली खरड़ की इस जमीन को लेकर दोनों परिवारों में फिर खींचतान शुरू हो गई। दलीप सिंह के पुत्र देवेंद्र सिंह ने जमीन पर कब्जे के लिए अदालत में केस दायर कर दिया। इस बीच 14 अप्रैल 1969 को निरंजन सिंह की मौत हो गई। उसकी मौत के बाद निरंजन सिंह के कानूनी उत्तराधिकारियों को खोजने और नोटिस देने में पांच साल लग गए। 22 जनवरी 1976 को खरड़ कोर्ट ने कमक्कर सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया जिसे दो साल बाद सेशन जज ने रद कर दिया। कानून की कई दहलीजों से गुजरता हुआ आखिर 1978 में यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचा और इसे एडमिट कर लिया गया। मामले में कई पेचीदगियों के मद्देनजर मामला 14 अगस्त 1987 को हाईकोर्ट की डिविजन बेंच को रेफर कर दिया गया। वर्तमान में इस केस में याचिकाकर्ता सात लोगों में से केवल कमक्कर सिंह का छोटा भाई शेर सिंह ही जीवित हैं। वह 87 साल के हैं और इस समय लुधियाना में रहते हैं। हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने कमक्कर सिंह के परिवार के खिलाफ फैसला सुनाया। इस फैसले के बाद कमक्कर सिंह के परिवार के लोगों का कहना है कि वे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट जाएंगे। मतलब साफ है कि अभी इस इस केस के पूर्ण निपटारे में कुछ साल और लग सकते हैं।


  

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