अदालतें भी नहीं दिला सकीं फ्री पास
पटना, हमारे कार्यालय संवाददाता
08/08/10 | Comments [0]
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कैट व पटना हाईकोर्ट भी रेलवे इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत हुए कपिलदेव शर्मा को फ्री फ‌र्स्ट क्लास पास नहीं दिला सका। अदालती आदेश ले अधिकारियों के चक्कर लगाने का सिलसिला फिलहाल थमा नहीं है। शनिवार को दैनिक जागरण के जन जागरण अभियान के तहत आयोजित सेमिनार में श्री शर्मा ने अपनी व्यथा सुनाई। बताया कि वे 1986 में रेलवे से सेवानिवृत हुए। दस वर्षो तक रेलवे ने उन्हें फ‌र्स्ट क्लास का फ्री पास दिया। उनका आरोप है कि 1996 में रेलवे के एक अधिकारी ने उन्हें फ्री पास जारी करने के बदले पैसों की मांग की। घूस देने से इनकार किया तो पास जारी नहीं किया गया। बाद में उन्होंने विभागीय अधिकारियों से इसकी लिखित शिकायत की। कोई सुनवाई नहीं हुई। दो वर्षो तक अधिकारियों के पास दौड़ने के बाद उन्होंने कैट का दरवाजा खटखटाया। 1998 में ओए 280 वाद दायर किया। वर्ष 2003 में कैट ने श्री शर्मा के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले के खिलाफ रेलवे हाईकोर्ट चली गई। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश आर.एम.लोढ़ा व के.के.मंडल की खंडपीठ ने रेलवे के मुकदमें को डिसमिस कर दिया। रेलवे ने एक हजार रुपये जुर्माना दे केस को पुनस्र्थापित कराया। लेकिन इस वर्ष 20 अप्रैल को केस दुबारा डिसमिस हो गया। श्री शर्मा ने बताया कि रेलवे अधिकारी कोर्ट के फैसले को मानने को तैयार नहीं हैं। श्री शर्मा को इस बात का मलाल है कि अधिकारियों के कारण उन्हें 15 साल मुकदमेबाजी में बिताना पड़ा, लेकिन अदालत ने इसका आर्थिक हर्जाना उन्हें नहीं दिलवाया। सेमिनार के पैनलिस्ट अधिवक्ता आशुतोष रंजन पाण्डेय ने सुझाव दिया कि चूंकि कैट के आदेश को हाईकोर्ट ने भी बहाल रखा है। इसलिए इस आदेश की अवहेलना करने वाले पदाधिकारियों के नाम से हाई कोर्ट में मानहानि का दावा किया जा सकता है। जबकि पैनलिस्ट विंध्याचल सिंह ने रेलवे के वकील की हैसियत से इस मामले को रेलवे के आला अधिकारियों के समक्ष उठाने का भरोसा दिलाया। श्रोताओं के बीच बैठे अधिवक्ता दया शंकर प्रसाद ने कोर्ट फीस एवं अन्य संबंधित खर्च वहन करने का कपिलदेव शर्मा को भरोसा दिलाया। सेमिनार में राज्य खाद्य निगम के सेवानिवृत कर्मचारी योगेंद्र सिंह और लखीसराय के रेलवे कर्मचारी शिवनंदन प्रसाद ने अपनी समस्या बतायी। विन्ध्याचल सिंह और निवेदिता निर्विकार ने उन्हें भी कानूनी सलाह दी और हर संभव मदद का आश्र्वासन दिया।


  

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