एक नहीं, दो नहीं, पूरे 24 बरस बीत गए, लेकिन तारीख नहीं मिली। तारीख कब मिलेगी इस आस में दोनों पक्षों के लोगों की आंखें पथरा गई हैं, लेकिन हाईकोर्ट से तारीख नहीं मिली। सबसे अधिक पीड़ा उसे हो रही है, जो हिसार के सिविल कोर्ट से लगभग 27 वर्ष पूर्व केस जीत कर भी आज हाईकोर्ट से न्याय की आस में दिन गिन रहा है। यह कहानी हिसार जिले के शंकर के तीन पुत्रों प्रेम सिंह, मान सिंह और जगदीश सिंह की है। हुआ यूं कि इन तीनों के पिता शंकर ने 14 मई 1965 को 7 कनाल 2 मरला जमीन जयनारायण, रामेश्र्वर, सुभाष, ओमप्रकाश और आत्माराम के हाथों लगभग 2500 रुपये में बेच दी। शंकर के तीनों पुत्रों ने लगभग 14 वर्ष बाद 7 दिसंबर 1979 को हिसार के सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपने पिता द्वारा बेचने के कदम को न केवल चुनौती दी, बल्कि उक्त जमीन की रजिस्ट्री रद्द करने की मांग भी की। उन्होंने तर्क दिया कि जब जमीन की बिक्री की गई तो तीनों नाबालिग थे। जब वे बालिग हुए तो उन्हें पता चला है कि उनके पिता ने बिना किसी जरूरत के जमीन बेच दी है। मामले की सुनवाई करते हुए तत्कालीन सिविल जज Fेह लता ने 30 अप्रैल 1983 को फैसला सुनाते हुए कहा कि शंकर के तीनों पुत्र दो माह के अंदर 2500 रुपये जमा करा दें तो जमीन का मालिकाना हक उनका हो जाएगा। उक्त आदेश को देखते हुए शंकर के पुत्रों ने निर्धारित अवधि के अंदर राशि जमा करा दी। इस आदेश को चुनौती देते हुए शंकर के हाथों जमीन की खरीद करने वालों ने 15 जून 1985 को हिसार के ही जिला सत्र न्यायालय में अपील की। तत्कालीन जिला सत्र न्यायाधीश एसडी अरोड़ा ने 6 मार्च 1986 को अपील ठुकरा दी और सिविल कोर्ट हिसार द्वारा दिए गए फैसले का बरकरार रखा। जिला सत्र न्यायालय की अपील ठुकराए जाने के बाद शंकर के हाथों जमीन खरीदने वालों ने उक्त फैसले के खिलाफ 7 जुलाई 1986 को चंडीगढ़ स्थित पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने 15 दिसंबर 1986 को अपील स्वीकार कर ली, लेकिन आगामी सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित नहीं की। इसके बाद शुरू हुआ तारीख मिलने का अंतहीन इंतजार, जो आज तक जारी है।
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