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कर्जदार से पहले गारंटर पर कार्रवाई संभव
सरकार का सर्वे बताता है कि कर्जदारों पर बैंक और वित्तीय संस्थाओं का 1,20,000 करोड़ रुपये बकाया हैं और ये देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाल रहा है। फंसे कर्ज (एनपीए) और बकाया की जल्द वसूली के लिए विशेष कानून बने, अत्यधिक अधिकार वाला ट्रिब्यूनल स्थापित हुआ, लेकिन सब बेकार। वहां भी सामान्य अदालतों की तरह मुकदमों का ढेर लग गया है।
फैसला होने तक कम पड़ जाएंगे 6000 पन्ने
तमाम आवेदनों और तात्कालिक आदेशों को मिलाकर यह तकरीबन 6000 पन्नों की मोटी फाइल है, जिसमें लंबी- लंबी तारीखों के बाद अदालत के अर्दली की हांक भी अब कम ही गूंजती है-रणवीर सिंह वगैरह बनाम सुधीर कुमार सिंह वगैरह..।
जजों का कुनबा न्याय को तरसा
नाना की खरीदी जमीन को लेकर शुरू हुई न्याय की लड़ाई में नाती अर्जुन है और 37 साल बाद भी लड़ाई जारी है। मामला बनारस में सिगरा स्थित एक बीघे भूमि का है। फरियादी निर्मला वर्मा (अब स्वर्गीय) पूर्व मुख्य न्यायाधीश स्व. शशिकांत वर्मा की पत्‍‌नी हैं। शशिकांत यूपी के कार्यकारी राज्यपाल भी रहे थे।
सबकी हो एकाउंटिबिलिटी
भारतीय संदर्भ में वेदों, उपनिषदों, स्मृतियों आदि ग्रंथों में न्याय के विभिन्न आचार्यो, न्यायाधीशों के गुणों एवं न्याय की आवश्यकता को वर्णित किया गया है। न्यायाधीश को ईमानदार, नीर-क्षीर विवेचक, मानवीय संवेदना एवं आदर्श चरित्र से ओतप्रोत होना चाहिये।
न्याय की आस में सलाखों के पीछे जीवन बिता रहीं दर्जनों विचाराधीन 'अपराधिणी'
'ठीक है कि हम पर आरोप है। इसलिए हम जेल में बंद हैं, लेकिन यदि कल हम बाइज्जत बरी कर दिये गए तो? तब इन सलाखों के भीतर गुजारे गए 18 महीनों का मुआवजा कौन देगा? मेरे साथ मेरी बच्ची भी इसी चहारदीवारी के बीच रह रही है। उसके बचपन का मुआवजा कौन देगा?'
उम्र बीतने के बाद मिली उम्र कैद
शेर सिंह व श्याम कली ने अपनी लाडली का हाथ कुलदीप के पास यह सोचकर नहीं सौंपा कि उनका दामाद उनके भविष्य को संवारेगा। बल्कि इसलिए कि उसे छत नसीब हो और वह अपने घर की तरह सुखद जीवन बिताएं।
न्यायिक सुधार पर जनजागरण के तहत खबर
इसमें कोई दो राय नहीं कि आम वर्ग को शीघ्र व सस्ता न्याय मिलना चाहिए। शीघ्र न्याय के लिए आवश्यक है कि न्यायाधीशों की संख्या हर स्थान की आवश्यकता के मुताबिक समय समय पर बढ़ाई जानी चाहिए व न्यायिक प्रक्रिया को आसान बनाया जाए।।
न्यायिक व्यवस्था में दखल रखने वाले घटकों का विश्लेषण आवश्यक
न्यायिक सुधार ज्यूडिशियल रिफोर्म के लिए न्यायिक व्यवस्था से जुड़े या न्यायिक व्यवस्था में दखल रखने वाले घटकों का विश्लेषण किया जाना आवश्यक है।
त्वरित न्याय को सभी का सहयोग जरूरी
दैनिक जागरण की 'बेहतर न्याय लाएगा बदलाव' जनजागरण मुहिम हर वर्ग के बीच सकारात्मक न्यायिक बदलाव की सोच रख रही है। इसमें न्यायिक व्यवस्था को आम आदमी के लिहाज से उपयोगी बनाए जाने के लिए लोकतंत्र के सभी स्तंभों की भूमिका पर जोर दिया गया।
न्याय का मंदिर इलाहाबाद हाईकोर्ट
ब्रिटिश संसद द्वारा सन 1861 में पारित भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम द्वारा न केवल कलकत्ता, मद्रास और बंबई के सर्वोच्च न्यायालयों के स्थान पर उच्च न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान किया गया बल्कि लेटर्स पेटेंट के द्वारा ब्रिटेन की महारानी के राज्य क्षेत्र में किसी ऐसे स्थल पर उच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान भी किया गया जहां किसी अन्य उच्च न्यायालय की अधिकारिता नहीं थी।
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